Garib aur raja ki kahani with moral story honesty kishan in hindi kahani
एक गरिब आदमि था वो दुसरे के खेत मे अकसर काम किया करता था । और जो कुच पैसा मिलता था उसि से अपना पेट भरता था । जो मालिक था वो दयालु था वो आदमि को अपने सारे खेत कि देखभाल करने को कहा था । और वो आदमि वो खेत को अपना हि है एसा सोच के काम करता था ।
एक दिन मालिक को किसि दुसरे आदमि ने कहा कि वो गरिब आदमि के उपर आप क्यु ज्यादा लगाव रख रहे हो । वो गरिब आदमि कुच ना कुच आपके खेत मे से चोरि कर के ले जाता होगा । मालिक को वो आदमि कि बात मे गहराइ लगि इस लिये वो दुसरे दिन वो गरिब आदमि के घर चला जाता है और वहा पे देखता है कि घर मे बेथ ने के लिये कुच नहि है ना खाने के लिये बरतन है ना सोने के लिये बिसटर है ।
वो मालिक कहता है कि तुम ने मेरा पेट भरने के लिये दिन रात मेहनत किया तुम भुखे रहे मुजे तुम आमिर बनाते चले गये । तुमने सोना छोद दिया और मुजे कामियाब बना दिया ।
उस मालिक ने अपने एक खेत उस गरिब आदमि को दे दिया और कहा कि तुम मेरे खेत मे जितनि मेहनत करते हो उतनि मेहनत तुम्हारा जो खेत है उस मे किया करो आज से । मालिक ने उस खेत मे बोने के लिये कुच बिज दिये और वो गरिब आदमि उस बिज को खेत मे बोया और जितोर मेहनत करने लगा । काफि वकत हो गया वो आदमि मेहनत करता हि जाता है । और अपनि गरिबि हता ता जाता है ।
एक दिन वो मालिक कुच बिमारि के वजाह से मर जता है जो उस का घर और उस का खेत सब कुच वो मालिक का था वो उस गरिब आदमि को दे के चला जाता है । और वो आदमि जितोर मेहनत करके गरिबि मेसे अमिर बन जता है और राजा के जेसे जिवन जिने लगता है । और वो आदमि सभि गाव वालो कि मदद करने लगता है । गाव वालो उस गरिब आदमि कि दया करुना देखते हुवे उसे राजा कह ने लगे । तबसे वो आदमि राजा कहलाने लगा । सब कुछ आज है उस के पास घर ,पैसा ,खेत, गरिब से राजा ।
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