बहादुरि और साहास कि कहानी
एक गाव मे चार बच्चे रहते थे । वो अकसर गाव के चोराहे के पास खेला करते थे । वो चार बच्चे चोराहे पे खेल खेल के थक गये थे इस लिये वो लोगो ने गाव कि नदि हे वहा पे खेल ने कि लिये सोचा । वो चारो दुसरे दिन नदि के पास खेल ने गये और चारो आपास मे खेल रहे थे तबि आवाज याइ मे मे मे करके वो चारो ने ने देखा कि छोटि छि बकरि पानि मे फास गइ है | वो चारो बच्चो चारो दिसा मे देख लिया लेकिन कोइ नहि दिख रहा था । वो चारो बच्चो सोच मे पद गये वो दर ने लगे बकरि मे मे मे करके रो रहि थि वो देखके रो रहि थि ।
चारो बच्चो मे से एक बच्चा बोला कि चलो हम घर चले जते हे । दुसरा बच्चा बोला ए बकरि हमरि तो नहि है हम क्यु उसे निकाले । तिसरा बच्चा बोला कि उसे निकाले मे कोशिश करता हु मेरे से होता हे तो देखे गे नहि तो घर चले जाये गे ।आखरि चारो बच्चो मे से एक हि बच्चा बचा था वो साहास कर के पनि मे उतरा और धिमे धिमे अगे बधता गया और वो बकरि को बहदुरि से वो पानि से बाहर निकाल लिया ।
Braver And Courage
साहास भारा कदम बहादुरि दिखा गया
एक दिन कि बात है चारो बच्चे को मंदिर के पुजारि ने कुच फुल लेने के लिये भेजा वो चारो बच्चो गये फुल लेने के लिये काफि जगह पे देखा कहि पे फुल मिल नहि रहे थे वो चारो सोच मे पद गये ।वो चारो बच्चो जंगाल कि और गये फुल लेने के लिये चारो बच्चो ने सोचा चारो अलग अलग दिशा कि और चलते हे जिसको मिले फुल वो ले के अये गा । चरो अलग अलग दिशा मे गये ।चारो मे पहला जो बच्चा को फुल दिखा लेकिना वो फुल कि और पोहच नहि पया था और वो वापस अगाया । दुसरा बच्चा फुल देखा लेकिन वहा पे जंगाल जेसा बहुत काटे दार नुकिले काटे थे ।