परोपकार पर कहानी इन हिंदी ॥ motivational short story on paropkar in hindi ideas for short story

दोस्तो आज आपको यह बताने वाले है Motivational Story on Paropkar in Hindi के बारे मे हमे यकिन है | आपको paropkar story in hindi बहुत पसंद आयेगा । 

 

 

Motivational Story on Paropkar

 

परोपकार पर कहानी इन हिंदी motivational short story on paropkar in hindi ideas for short story

 

एक दीन की बात है एक लड़का अपनी मां के साथ होस्पीटल  में आया था । मां की तबीयत आछी ना हो ने कारण वो होस्पीटल में डोक्टोर का इन्तेजार कर रहे थे । वो लड़का वहाँ बैथा बैथा बोर होने लगा था । इस लीये उस ने सोचा में बहार गुम्के आवु ।

 

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वो बहार निकाल गया । वहाँ बैथे बैथे सोचने लगा वो सामने बुठी दादी मां बैथ के क्या कर रही है । बुठी दादी मां का होस्पीटल की स्लीप गिर गई थी और वो एक पेड़ के बिच में फस गई थी । बुठी दादी मां उसे निकाल ने की बहुत कोशिश करती रही लेकिन वो निकाल नहीं पाई ।

 

वो लड़का तुरंत उस बुठी दादी मां के पास जाता है और उस स्लिप को निकल ने में मदद करता है । लडके ने दादी मां को कहता है आपने क्यु किसी की मदद नहीं लीया । दादी मां ने कहा मेंने सभी लोगो को आवाज लगाई लेकिन कोई मेरी मदद करने के लीये नहीं आया है ।

दादी मां अब उस स्लिप को लेके होस्पिटल के अंदर चली गई । वो लड़का आपनी मां के पास गया । मां का अभी भी नंबर नयी आया था । दादी मां का नंबर आया दादी मां ने कहा पहले इस लडके की मां का इलाज करोवो कब से वहाँ पे बैथी है । इस लडके ने मेंरी बहुत मदद कीया है। में कब से देख रही हु यह लड़का सभी लोगो की मदद कर रहा है ।

इस लीये आप पहले इस की मां का इलाज करो । लडके उस दादी मां के पैर छुवे । दादी मां ने कहा इसी तरहा तुम्ह सभी लोगो की मदद करते रहना । एक ना एक दीन जिवान में तुम्ह जरुर आगे बडोगे ।

हम जिवान में किसी ना किसी की मदद करते है तो हमे किसी ना किसी रुप में उपहार के तौर पे वापस मदद मिल ही जाती है । इस लीये हमे सभी लोगो की मदद करनी है । जरुरत पडने पड वो भी हमारी मदद करेगे ।


short story on on Paropkar 

 

 

नदि के किनारे एक किशान अपनि पत्नी ओर दो छोटे बच्चो के साथ रहता था । वो अपने खेत मे काम करके अपना जिवान आगे चलाता था ओर नदि मेसे जो कुच मछलि मिलति है उसे अपने परिवार के साथ चटाकेदार पकवान बनाके  एंजोय करते थे । वो लोग कि परिस्थिति अछि नहि थि वो लोग कहि पे अछि जगह पे जाये और अछा पकवान खाये एसा सोच भि नहि सकते थे ।

कुच दिन बित गया बारिस का समय सुरु हुवा खेत मे बोने के लिये बिज नहि थे उस किशान के पास वो गाव मे मदद मगने के लिये जाता है लेकिन वो पहले सेहि काफि लोग से पैसा उधार ले चुका था इस लिये उस किशान कि कोइ मदद नहि कर रहा था । वो अपने घर लोट आता है ओर सोच मे पद गया के इस बार मे क्या करु केसे मे खेती करु ।
बो किशान रोने लगता है हतास हो जाता है लेकिन उस का दिमाग काम नहि कर रहा होता है कि क्या करु केसे खेति करु । कुच दिन तो घर मे जो कुच था उससे जिवान बिताया लेकिन वो अजान भि खताम होने लगा । घर मे पैसा  थे वो भि खताम होने को आये । वो किशान बहुत परेशान हो रहा था ।

उसे निंद नहि आ रहि थि किशान ने नदि मे कुद के मर जाने का सोचा । वो सभि लोग सो रहे थे तब दबे पाव से वो घर से निकाल गया ओर पास मे एक चटान थि वहा पे वो गया । वो किशान वहा से अपने खेत ओर घर को देख रहा होता है । तब एक आवाज आति है तो उस कि नजर एक जहाज पे पदति है वो जहाज मे एक मछवारा था वो जखमि हो गया था उस का जहाज तुट गया था । 

वो मछवारा मदद के लिये चिल्ला रहा था उस किशान से वो मछवारे का रोना देखा नाहि गया । वो किशान तुरत हि वहा से उस मछवारे के पास जाता है उसे उस जहाज से बहार निकालता है ओर अपने घर उस मछवारे को ले चलता है । मछवार बेहोश हो गया था इस लिये वो किशान उस मछवारे का इलाज करने लगा सुबह होते हे मछवारे होश आता है और उस किशान को धन्यावाद कहता है अपने मेरा जिवान बचाया हे अपने मुजे बचा के नया एक जिवन दिया है।

मेतो उस समुद्र मे रहके एसा हि सोचता था कि अब मे नहि बचुगा मे मर जावु गा मेरे सारे साथि एक एक करके मर गये । भगवान के परोपकार से मेहि बचा हु और मुजे समुद्र कि तुफानि लहरोने से नदि कि और भेज दिया ओर मे बच गया । लेकिन तुम क्यु अपनि जान देने के लिये उस चटान पे चदे थे । किशान ने कह कि मेरे खेत मे बोने के लिये कुच नहि है । गाव मे कुच साथि के पास गया उनि लोगो ने मदद के लिये इनकार कर दिया । इस लोये मे मर जाने के को सोचा ।

वो मछवारा कहने लगता हे सिरफ इतनि बात पे तुम जान देने जारहे थे । मेरे जहाज पे काफि सारे बिज है अलग अलग प्रकार के जो चाहे वो तुम ले लो । वो मछवारे कि बात सुनेके किशान कि अंख नम हो गइ । उस जहाज से वो किशान कुच बिज ले आता है ओर खेत मे बो देता है ।

कुच समय के बाद तुफान बंध हो जाता है ओर वो मछवारा वहा से चाला जाता है । वो किशान अपनि पत्नी को कहता है कि भगवान ने सहि समय पे पतरोपकार किया ओर उस मछवारे को हमारि मदद करने के लिये हमारे पास भेज दिया ।  

परोपकार से मन को शांति मीलती है । परोपकार से व्यक्ती का नाम संसार स्थापित हो जाता है । महाराज शिवि, रन्तिदेव आदि ने प्राणों का मोह छोड़ के परोपकार करके दिखलाया था. इसलिए वे अमर हो गए|


 

 short story on paropkar in hindi 

 

 

एक किशान हर दीन सिवजी की पुजा करता था । एक दीन किशान के सपने मे सिवजी आये और कहा कल मे तेरे घर आवुगा । सुबह मे किशान बाजार जाके कुच फल लाया कुच दुंध लाया तो कुच मिठाई लाया । 

किशान अपने घर के बाहार बेठ के सिवजी का इतजार कर रहा था । लेकीन तब उसे एक लडकी दिखाई दीया पेड के नीचे बेथ के रो रही थी । किशान ने उस लडकी को पास बुलाके पुछा तो उन लडकी ने कहा मुझे बहुत जोर से भुख लगी है मेंने दो दीन से कुच नही खाया है । तो किशान ने फल तुरंत उस लडकी दे दीये । 

किशान सिवजी की राह देखते हुवे दुबहेर हो गया तब एक औरत उस के नन्हे से बच्चे के साथ आती हे और कहती हे मालीक मेरे बच्चे के लीये दुंध देदो बहुत भुखा है और भुख के कारण कब से रो रहा है । किशान बहुत डयालु था उसे बच्चे का रोना देखा नही गया इस लीये दुंध दे दीया । 

किशान एक ही जगह बेथ के सिवजी की राह देख रहे थे । लेकीन सिवजी देखाई नही दीये अब साम होने को आयी तब एक भिखारी किशान के पास खाना मांग ने लगता है मे भुखा हु मुझे कुच खाना देदो मालीक । तब किशान ने उस भिखारी को मिठाई दे दीया ।

आब रात हो चुकी थी किशान बहुत परेशान हो गया था । घर मे जाके सिवजी को आवाज लगाई सिवजी मे तुम्हारा पुरा दीन इतजार करता रहा लेकीन आप क्यु नही आये मे तुम्हारे लीये क्या क्या लाया था । आप ने मुज्से वादा कीया था मे आवुगा तो क्यु नही आये । 

तब सिवजी ने कहा की तुम्हे जो चिजे मेरे लीये बाजार से लाये थे वो चिज मुझे मिल गई है । मे 3 बार तुम्हारे पास आया था तुमारा परोपकारी मंन देखते हुवे मे बहुत खुस हु । तुम्ह इस तरहा से सभी की मदद करते रहो गे तो मे तुमारे साथ ही रहुगा । किशान बहुत खुश हुवा और सिवजी को धनीयावाद कीया । 

 

परोपकार पर कहानी इन हिंदी 

 

 

एक चरवाहा आपनी भेल बकरी के साथ समुद्र के किनारे बैठा करता था। चरवाहा बैठे बैठे आसमान मे देखते हुवे कुछ बोल रहा था। इस तरहा हर दिन चरवाहा आसमान मे देखते हुवे बात किया करता है। 

यह सब एक जलपरी देख रही होती है। जलपरी उस चरवाहे की यह कोमल सभाव पे मोहित हो जाती है और जलपरी ने उस चरवाहे को अपने मन की बात करती है। जलपरी ने कहा मे आपके साथ शादी करना चाहती हू। 

चरवाहे ने कहा मे तो शादी शुदा हु। तब जलपरी ने कहा कोई बात नही है लेकिन मे तुम्हे ही दिखाई दूँगी किसी और को नही दिखाई दूँगी। 

मे तुम्हारी हर कोई ईशा पूरी करूगी लेकिन यह बात किसी और को नही बता सकते तुम। चरवाहे ने तुरंत जलपरी के साथ शादी कर लिया। 

चरवाहा बहुत खुश था उसकी हर कोई ईशा पूरी होने लगी थी। लेकिन एक दिन चरवाहा अपनी पत्नी के साथ घर मे लदाई कारता है और कहता है मैंने दूसरी शादी कर लिया है मुझे तुम्हारी कोई जरूरत नही है। 

यह कहते है जलपरी चली गई। चरवाहा अब दुखी हो गया। 

जिस लोगो को अच्छा मिलने लगे उसे इस की कदर नही रहती है। 

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परोपकार पर लघु कथा

 
एक दिन एक साधु जंगल से तपस्या करके गाँव मे जा पहुँचा। साधु काफी समय से नहाया नही था। गाने बाल थे उस का पुरा चेहरा बालो से ढक गया था।  साधु ने कही लोगो के पास जाके खाना मांगा लेकिन किसी ने उस की बात नही सुनी उसको भला बुरा कहा और वहा से जाने को कहता है। कही लोगो ने उसे पागल तक कह दिया।
साधु चलते चलते थक गया उसे एक भिखारी मिला। भिखारी ने उस साधु को अपने पास बुलाया और भिखारी को जो कुच भीख मे खाना मिला था वो साधु को देने लगा। साधु भिखारी को मना भी नही कर सकता है लेकिन साधु को बहुत जोर से भूख लगी थी। इस लिये साधु ने तुरंत खाना ले लिया खाने लगा। 
साधु ने भिखारी को कहा हमसे ज्यादा तो इन लोग भिखारी है। हमार्रे से ज्यादा इनको भीख मांगने की जरूरत है।  आज तुमने बहुत अच्छा काम किया है खुद का खाना मुझे देके इंशानियत को जिंदा रहा है। 

paropkar par kahani

 

जिवान में हमेशा इक जिच याद रखनी चाहीये हम जिस की भी मदद करते है वो मदद हमे किसी ना कीसी रुप में वापस मिल जाती है । या हम किसी के साथ गलत करते है तो हमे उस गलती की सजा हमे दुख दर्द के रुप में मिल जाती है

यह कहानी भी इसी तरहा की है एक शेठ माल सामान बैचने में बहुत कंजुसी करता है । कोई भी उस शेठ के पास सामान लेने के लीये आता है उसे जरुरत के हिसाब से सामान नहीं देता है उस से कम सामान देता है ।

सभी गांव वाले उससे परेशान थे जो भी गांव वाले उस शेठ के पास से सामान लेते थे और शेठ कम समान देता है तब लोग उसे मनो मंन गाली देते थे । एक दीन सभी गांव वालो की बद्दुवा उस शेठ को लगी ।

शेठ अपाहीज हो गया ठीक से चल नहीं पाता है बलकी वो ठीक से बैथ भी नहीं पाता है । शेठ के पास पैसे तो बहुत थे लेकिन इलाज से लीये दावा नहीं थी । सारे डोक्टोर को बाताया लेकिन उंसे कुच नहीं हुवा ।

अब शेठ को पता चाला में सभी के साथ गलत करता हु इस लीये मेरे साथ भी आज गलत हुवा है ।    

 

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