मुर्ती का शिल्पकार short story with moral in hindi

दोस्तो आज आपको यह बताने वाले है Good moral stories with moral के बारे मे हमे यकिन है | Moral story short बहुत पसंद आयेगा ।

 

मुर्ती का शिल्पकार :- A good moral story

बहुत समय पहले कि बात हे एक शिल्पकार जंगल मे रहता था वो कहि अल्ग अल्ग प्रकार कि मुर्ती बनाया करता था । गाव वाले उस कि कारीगीरि से बहुत खुस हुवे थे इस लिये गाव वालो ने सोचा कि क्यु नहि हम अपने गाव के लिये अच्छा सा मंदिर बानाके एक मुर्ती कि स्थापना करे । गाव वालो ने उस शिल्पकार को एक मुर्ती बनाने को कहा ।

दुसरे दिन वो शिल्पकार पहाड कि और गया कुच पत्थर कि खोज मे शिल्पकार को कहि सारे पत्थर मिले लेकिन उस ने केवल तिन पत्थर अपने साथ लेके जंगल कि और चला गाया । उसने तिनो पत्थर से पुछा किस को मुर्ती बनना है । किस को शीदी बनना है । किस को पत्थर हि रहना है ।

तब तिन मे से एक बोला मुजे तो पत्थर हि रहने दो क्युकी आप छीनी हथोदी से जब आप पटको गे तब मुजे बहुत दर्द होगा । दुसरा कहने लगा कि मुजे शीदी ही बनालो उस मे कम दर्द होगा और काम हथोदी कि मार मिले गी । तिसरा पत्थर तो समज गया इन दोनो ने अपने अपने विचार तो कह दिये है अब मुजेहि शिल्पकार से मुर्ती बनाये ने को कहना पदे गा क्युकि मे अकेला हि ब्चा हु । 

उस शिल्पकार ने उस पहले पत्थर को अच्छे से नहला के ठीक कर दिया । दुसरा जो पत्थर था उसे अच्छी तरहा से वो शिल्पकार कम समय मे कम हथोदी कि मार से शीदी बनादाली । तिसरा पत्थर जो था उसे शिल्पकार ने बहुत हथोदी कि मार मारी वो पत्थर बहुत चिल्ला रहा था तब वो दोनो पत्थर उसपे हस रहे थे । लेकिन वो पत्थर ने हार नही माना और शिल्पकार ने उसे बनाने मे बहुत समय लगाया लेकिन आखिर कार शिल्पकार ने एक सुंदर सि भगवान कि मुर्ती बना दिया ।

जब गाव वाले उस शिल्पकार के पास आये ओर तिनो पत्थर को ले गये । गाव वालो एक सुंदर सा मंदीर बनाया था उस मे तिसरा जो पत्थर था उसे मुर्ती बनाइ गई थी उसे मंदीर मे रख दिया गया । मंदिर कि शीदी पे दुसरे पत्थर को रख दिया गया । ओर जो पहले वाला जो पत्थर था उसे मंदिर कि बगल मे रख दीया गया था ।

जब गाव वाले मंदिर मे दर्शन करने आते थे तब सब लोग मुर्ती को फुलो से पुजा करते थे । फलो रखके जाते थे । दुध से स्नान कराते थे । जब पहले पत्थर पर लोग नारीयल फोद ते थे तब वो पत्थर बहुत हेरान परेशान होता था । जो दुसरा पत्थर पे लोग चंपल रखते थे । कुच सामान रख देते थे वो पत्थर परेशान हो गया था । वो दोनो पत्थर चिल्लाते रहे लेकिन उसकी सुन्ने वाला कोइ नहि था ।

वो तिनो पत्थर आपस मे बात चित करने लगे । शिल्पकार ने तुजे बहुत अच्छी जगह पे रख दिया है तुम्हे तो कोइ दिक्कत नही आती है । तुम्को हर दीन दूध से स्नान कराते हे लड्डुओ का प्रसाद चठाते हे ।

हमारी तो किस्मत ही खराब है लोग नारीयल फोड कर जाते हे । कोइ मुज्पे चंमल रखके जाते है । तब वो मुर्ती वाले पत्थर ने कहा की शिल्पकार ने सभी पत्थर को मोका दिया था लेकिन आप दोनो ने सरल रस्ता चुना था । यदी आप लोगे ने सहि रस्ता चुनते तो आपकि जगह पे आज मे होता । पहले आप दोनो को मोका मिला था आपलोगो ने मोका छोद दिया ओर मेंने मोका पक्द दिया ।

Moral story :- सही रस्ता चुनना चाहिये कथीनाई तो सभी जगह पे आती हे उस का समना  करना है भगना नहि हे । 

                    Unique Moral Story जलपरि के साथ दोस्ति 

            प्राथना ओर मेहन्त :- Good story with moral

एक गाव मे दो दोस्त रहते थे गोलु –मोलु वो दोनो बहुत होशियार थे वो अकसार गाव के मंदिर मे पुजारी को मदद कर ने के लिये जाते थे । वो दोनो दोस्त कि मंदिर कि प्रती लगाव देख्ते हुवे पुजारीने उन दोनो को एक खेत दिया ओर कुच गेहु के दाने दिये जिसे वो खेत मे फसल लगा सके ।

वो दोनो दोस्त मेसे एक गोलु  बहुत मेहन्त करने लगा । उस मे मोलु  केवाल भागवान के पास जाके प्ताथान करता था वो कहता था के भागवान फसल अछी तरहा लग जाये । गोलु दिन रात फसल को लगाने के लिये मेहन्त करता रहा ।

जब फसल लग गइ तब वो मोलु कहने लगा कि मुजे ज्यदा हिस्सा मिले गा क्यु कि मेंने भगवान से प्राथना किया है इस कारण सर ज्यादा फसल लगि है । वो दुसरा दोस्त गोलु कहता है कि मेंने दिन रात मेहन्त किया है इस लिये मुजे ज्यदा हिस्सा मिलना चहिये ।

वो दोनो पुजारि के पास गये पुजारि को सारी बात बताइ । तब पुजारी ने सोचा कि मंदिर मे जो चावल का चठावा आया था उस मे कुच कंकर थे ओर कुच चावल वो दोनो को मे चावल कि बोरी दे देता हु चावल अलग हो जायेगे ओर उन दोनो दोस्त मे से कोन चतुर है वो भि पता चल जाये गा । पुजारि ने वो दोनो दोस्त को चावल कि बोरी दिया ओर कहा कि कल सुबह चावल अलग करके लेआना ।

वो दोनो दोस्त अपनी अपनी चावल की बोरी लेके चले गये अपने घर जिस मे से गोलु ने दिन रात चावल ओर कंकर को अलग करने मे लग गया दिया । दुसरा दोस्त मोलु भगवान के समने प्ताथान करने मे लग गया के मुजे चावल कि बोरी मेसे चावल अलग करे के दे दो ।

दुसरे दिन वो दोनो मंदिर के पुजारी को चावल की बोरि दिखाई । जिस मे एक दोस्त गोलु ने सभि चावल को कंकर से अलग कर दिया था । दुसरे दोस्त मोलु ने बोरी देखी तो उस मे चावल ओर कंकर सामिल थे । तब पुजारी ने कहा कि क्यु तुम्ने नहि किया चावल को अलग वो बोला कि मेंने भगवान से कहा कि मेरी चावल कि बोरी मेसे कंकर को निकाल दो लेकिन नहि निकाला ।

तब पुजारी ने कहा कि असल मे तुमहारे दोस्त गोलु ने ज्यादा मेहंन्त किया । तुम्ने  केवल भगवान को प्राथना करने मे हि समय निला हे  भगवान उसी का साथ देता है जो मेहन्त करता है । पुजारी कि बात सुनके वो मोलु बोला की ए फसल का ज्यादा हिस्सा मेरे दोस्त गोलु को मिलना चाहिये उसे ने मेरे से ज्यादा मेहन्त किया ।

पुजारी ने दोनो दोस्त को फिर से मोका दिया ओर कुच फसल दाके बिज जिये वो दोनो दोस्त मिल जुल के खेत मे मेहन्त करने लगे ।

Moral stories :- हमे केवल भगवान के भरोसे नहि बेथना चाहिये अपनि ओर से महेंन्त करनी चाहिये तब जाके हमे सफ्लता मिलती है ।

             

   चतुर बंदर :- Good moral stories

एक जंगल मे एक तालाब था शाम के बाद कोइ भी उस तालाब मे पानी पिने के लिए जाता था तो वो वापस नहि लोट के आता था । एक दिन बल्लू बंदर रहने के लिये जंगल मे आया ।

उस को जंगल के बारे मे कुच पता नहि था वो तहलते तहलते शेर से मिला शेर ने कहा कि बल्लू बंदर कहा पे जा रहे हो तो वो कहने लगा कि मुजे पानी पिना है तालाब नहि मिल रहा है । तब शेर ने सोचा कि तालाब के पास तो खातरा है तब शेर बल्लू बंदर को पानी पिलाने के लिये ले गया । पानी पिलाने बाद वो सभि जंगल के जानवारो को मिलाया । वो दोनो पक्के दोस्त बन गये थे ।  

एक दिन जंगल मे सभि लोग नाच गाना खाना पिना कर रहे थे । तब वो बल्लू बंदर वहा से ताजि हवा खाने के लिये तालाब के पास गया ओर पानि पिने लगा तब वो मगरमच्छ बल्लू बंदर के पास अचानक आ गया वो बल्लू बंदर दर गया  । बल्लू बंदर उसे देखते दर गया ओर वहा से जान बचाके भग ते हुवे शेर के पास आ गया ।

सभी जानवरो एक साथ मिल के तालाब के पास गये तब मगर मच्छ ने सभि जनवारो को तालाब के पास आते हुवे देख्ता है तो मगर मच्छ छुप जाता है । बल्लू बंदर ने दिमाग लगाया ओर कहा कि हम जो चिज देख रहे हे वो तो पत्थर हे । तो मगर मच्छ बोला जि हा मे पत्थर हु । तब सभि लोगो को पता चल जाता है कि ए तो मगर मच्छ हे ।

शेर ने मगर मच्छ को कहा कि आज तक जो शाम के समय जो जानवर पानी पिने के लिये आते थे उसे तुम्ने मार दिये हे । मगर मच्छ ने कहा जि हा मेंने मार दिया है क्या करु मुजे कुच खाने के लिये नहि मिलता है तालाब मे कुच नहि है सब मछली मर गइ । भुख के कराण मेंने जो पानी पीने के लिये आता है उसे मार दिया है |

तब शेर ने कहा कि अबसे एसा नहि करना सभि लोग मिल जुलके रहे गे जो भि हमलोग खाना खाये गे तो आपस मे बाट के खाये गे । तुम्हे हम हर दिन खान भेज ते रहे गे ।

Good moral story :- किसि के साथ गलात या बुरा मत सोच ना चहिये आपस मे मिल जुल्के रहना चहिये । 

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