मकर संक्रांति पर धरती माता की कहानी Inspirational makar sankranti dharti mata ki kahani inspirational women

दोस्तो आज आपको यह बताने वाले है Dharti mata ki kahani के बारे मे हमे यकिन है किआप्को Dharti mata ki katha बहुत पसंद आयेगा | dharti mata ki kahani in hindi

 

 

Inspirational makar sankranti dharti mata ki kahani inspirational women

 

एक गरीब मां थी उसके छोटे-छोटे एक बेटा था और एक बेटी थी । वो मां मजदूरी करके अपना घर चलती थी । धीरे-धिरे समय बितता गया वो दोनो बच्चे बडे होने लगे । मां बुठी हो गई थी बेटी शादी के लायक हो चुकी थी । एक दीन मां ने बेटे से कहा की बेटा तेरी बहेन बडी हो गई है इस लिये तुम्हारे जैसा लदका और घर वर देखकर उसकी शादी कर देना । एसा कहके मां कुछ समय बाद मर गई ।  मां के मर ने बाद भाई गांव-गांव भतक ता रहा लेकीन बहेन के लिये योग्य कोई लदका नही मिला । वो हर जगह पे गया वो थक गया । बैठै बैठै उसने सोचा की क्यु ना मै ही इससे शादी कर लेता हु । एसा सोचके उसने चुनडी लाई और सामान लाया ।
बहेन ने कहा भाई यह सब सामान क्यो लाये है ? भाई ने कहा तेरी शादी है । बेहन ने भाई से कहा की कोई मेहमान नही आए है । मेरी शादी किससे कर रहे हो । गांव वालो ने कहा की तुम्हारा भाई ही तुम्से शादी कर रहा है । भाई कुछ नही बोला इस लिये बहेन समझ गई । उसने एक लोटा लिया चुनडी लि और चप्पल पहनकर जंगल मे रवाना हुई । गांव वालो ने पूछा जंगल मे क्यु जा रही है ? वह कुछ नही बोली वह वन मे जाकर घरती मां को जोर-जोर से पुकार ने लगी । वो बोली है मां मै क्या करू ? मां मेरी लाज रखना नही तो मेरे साथ बुराई हो जायेगी ।
मझे अपनी गोद मे ले लो नही तो मे यहा मर जाऊगी । धरती मां फटी तो बहेन ने एक तर लोटा , चुनडी , चप्पल रख दिए और वह धरती मे जाने लगी । थोदी देर के बाद भाई दोडता हुवा जंगल मे आया और गांव वालो को पुछा की मेरी बहेन किस तरफ गई है । गांव वालो ने कहा की तेरी बहेन उधर गई है । वह बहेन-बहेन पुकारता हुवे गया लेकीन बहेन घरती मां के उन्दर समा गई थी उस के बाल बाहर दीख रहे थे । भाइ ने उस की बहेन के बाल मुठ्ठी मे पकडे और रोने लगा । बहेन तु मुझे छोड के घरती मां के गोद मे समा गई ।
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भाई कहने लगा की मेरी बुध्धी भ्रष्ट हो गई थी मां का वचन निभाने ले लिए मेरे जैसा कोई लदका नही मिला । इस कारण सर एसा विचार आया । लेकीन घरती मां ने सत्य के लिए बेटी को अपने मे समा लिया । जो बाल बाहर थे वो दुर्वा हो गई । इसलिये औरते कहानी सुनती है और लोटा , चप्पल , चुनडी एक बर्तन मे हरे मूंग , एक लडडू कुंवारी कन्या को देगी उसको घरती माता सुखी रखेगी । जय घरती माता ।   जय घरती माता । जय घरती माता । जय घरती माता  
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