दोस्तो आज आपको यह बताने वाले है holi festival of colors के बारे मे हमे यकिन है | holi celebration बहुत पसंद आयेगा | holi holiday
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holi celebration |
holi festival of colors
हिरण्यकशिपु तप्सीया कर के ब्राह्मा जिसे वरदान पा लीया संसार का कोई भी जिव जंतु देवी देवता राक्षास या मनुश्य उसे ना मार सके । नहि वे रात मे मर सके नही दीन मे ना पुर्थ्वी पर ना आकाश मे ना घर मे ना बहार मरे यहा तक की कोई सस्र्ता ना मार पाई एसा वरदान पाकर हिरण्यकशिपु खुद को भगवान मंनने लागा और वो चहता था की हर कोई भगवान विष्णु की तरहा पुजा कीया करे।
हिरण्यकशिपु चहता था की प्रहलाद मेरी पुजा करे लेकीन प्रहलाद मानता था की हिरण्यकशिपु एक राक्षस था । सबसे शक्तिशाली हिरण्यकशिपु खुद को समझता था पुरी दुनिया उसकी पूजा करे वो चाहता था । लेकीन प्रहलाद भगवान विष्णु का वो खुद भक्त था और विष्णु की पुजा करता था। हिरण्यकशिपु अपने बेटे की विष्णु भक्ति से काफि नाराज थे ।
हिरण्यकशिपु अपने बेटे प्रहलाद से नाराजगी बहुत थी उसे मराने के कई प्रयास कर चुके थे । हाथी के निचे कुचलवाने से लेकर उंचाई से फेकने तक कई प्रयास कर चुके थे। हिरण्यकशिपु जब-जब प्रहलारद को मारने कि कोशिश करता तो भगवान विष्णु उसकी रक्षा कर लेते थे ।
हिरण्यकशिपु के कई प्रयासो के बाद अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को खत्म करने की जिम्मेदारी दी । होलिका के पास एक कपाड था वरदान मे मिला हुवा जिसे पास रखे तो कुछ नुकसान नही पोहुचता है । बहन होलिका प्रहलाद को भाई हिरण्यकशिपु का आदेश मन के गोद मे लेकर आग के अंदर बैठ गई ।
भगवान विष्णु का प्रहलाद भक्त था, तो एक वार फिर भगवान ने रक्षा उसकी की जो कपडा था वो प्रहलाद के पास आ गया प्रहलाद को कुछ नही हुवा आग की तपिश से खुद होलिका जल गई.।
इस त्योहार का नाम होलिका के दहन से होली पडा. ये त्योहार बुराई पर अच्छाई का भी प्रतिक है.
हिरण्यकशिपु चहता था की प्रहलाद मेरी पुजा करे लेकीन प्रहलाद मानता था की हिरण्यकशिपु एक राक्षस था । सबसे शक्तिशाली हिरण्यकशिपु खुद को समझता था पुरी दुनिया उसकी पूजा करे वो चाहता था । लेकीन प्रहलाद भगवान विष्णु का वो खुद भक्त था और विष्णु की पुजा करता था। हिरण्यकशिपु अपने बेटे की विष्णु भक्ति से काफि नाराज थे ।
हिरण्यकशिपु अपने बेटे प्रहलाद से नाराजगी बहुत थी उसे मराने के कई प्रयास कर चुके थे । हाथी के निचे कुचलवाने से लेकर उंचाई से फेकने तक कई प्रयास कर चुके थे। हिरण्यकशिपु जब-जब प्रहलारद को मारने कि कोशिश करता तो भगवान विष्णु उसकी रक्षा कर लेते थे ।
हिरण्यकशिपु के कई प्रयासो के बाद अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को खत्म करने की जिम्मेदारी दी । होलिका के पास एक कपाड था वरदान मे मिला हुवा जिसे पास रखे तो कुछ नुकसान नही पोहुचता है । बहन होलिका प्रहलाद को भाई हिरण्यकशिपु का आदेश मन के गोद मे लेकर आग के अंदर बैठ गई ।
भगवान विष्णु का प्रहलाद भक्त था, तो एक वार फिर भगवान ने रक्षा उसकी की जो कपडा था वो प्रहलाद के पास आ गया प्रहलाद को कुछ नही हुवा आग की तपिश से खुद होलिका जल गई.।
इस त्योहार का नाम होलिका के दहन से होली पडा. ये त्योहार बुराई पर अच्छाई का भी प्रतिक है.
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दोस्तो मुजे यकिन है कि holi festival india आप को पसंदआयि होगि । यह holi story आपको कोइ भुल करने योगियाता लग्ता है तो हमे कोम्मेंट करके बाताये और आपको कहनिया holi party near me लिखने खा पसंद हो तो holi color powder या homemade holi coloursईमैल कर सकते हो | holi powder
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