motivational story in 250 words for Class 10
एक आदमीं गाँव मे रहता था उसके पास कही गाय और भेस थी। उस आदमी को मुर्गी पाल ना पसंद था। लेकिन वो आदमी अक्सर बिल्ली से परेशान रहता था। अपनी मुर्गी को हर दिन बिल्ली पकड़ के चली जाती थी।
एक दिन उस आदमीं ने अपनी मुर्गी के लिए एक पीजरा लिया और सभी को अब पिजरे मे बंध करके रखता था। अब उस आदमी को बिल्ली से कोई परेशानी नही होती थी।
वो आदमी अब बुढा हा गया था इस लिए वो अपनी मुर्गी के तरफ ज्यादा ध्यान नही दे पाता था। मुर्गी अब दाने को खाने के लिए पिजरे से बार निकलती है। लेकिन बिल्ली की नजर हमेशा मुर्गी पे रहती थी। लेकिन वो आदमी अक्सर दूर से मुर्गी के तरफ देखा करता था। इस लिए बिल्ली नजदीक नही आती थी।
वो आदमी अपनी दावा के लिये हॉस्पिटल मे जाता है। तब बिल्ली अपने दोस्त के साथ उस मुर्गी के पास आती है। तब बिल्ली ने कहा तुमारे मालिक ने आज मुझे कहा है। सभी मुर्गी को दाने डालने को। मेने दाने बाहर डाल दिये है इस लिये पिजरे का दरवाजा खोल के बाहर आ जाव और दाने खालो।
सारी मुर्गी खुश हो गई अब बहार निकालने वाली थी लेकिन एक को लगा। कुछ तो गड़बड़ है इतनी सारी बिल्ली एक साथ आज। इस लिये मुर्गी ने बाहर निकाल ने से मना करना दिया। तब एक मुर्गी बहार निकलती है। जैसे ही वो बाहर निकालती है। सारी बिल्ली उस मुर्गी पे कूद पड़ी।
वो सब देखते हुवे दूसरी मुर्गी ने अपने पिजरे को बंध कर दिया। और अपनी जान बचाली।
मोरल : दूसरे लोगो की बात पे विशवास नही करना चाहिये।
motivational story in 100 words
एक लड़का अपने पापा को कहता है मुझे चिड़िया को पास रखना है मुझे उस की देखभाल करना चाहता हु। इस लिये पापा ने उस लड़के को चिड़िया लाके दिया।
वो लड़का अब हर दिन चिड़िया को अपने पास रखता था। हर दिन वो उस के साथ खेलता था। लेकिन स्कूल की छुट्टियां होने के कारण वो अपने नाना के घर रहने के लिए चला गया। अब चिड़िया अकेली रहने लगी।
चिड़िया को अब उस लड़के की याद आने लगी। इस लिए वो चिड़िया पिजरे से चली गई। अब वो लड़का स्कूल की छुट्टिया खतम होने के बाद अपने घर आता है तब वो देखता है पिजरे मे चिड़िया नही है।
वो लड़का बहुत रोने लगा और आपने पापा को कहता है मुझे चिड़िया छोड़ के चली गई है। तब पापा ने कहा बेटा तुम्ह अपनी चिड़िया को छोड़ के चले गये थे इस लिए तुम्हे भी चिड़िया छोड़ के चली गई है।
Moral:- हमे भी किशी को छोड़ के नही जाना है।
inspirational stories grandparents
एक चित्रकार था वो बहुत अच्छी चित्र बना के बेचता था और अच्छा खासा पैसा कमा लेता था। उस का एक बेटा था उसे यह चित्रकारी पसंद नही थी इस लिये वो कोई कंपनी मे नौकरी करने के लिये चला गया। अब वो चित्रकार बुठा हो गया था इस लिये वह अब ज्यादा चित्र बना नही पता है।
चित्रकार का एक पौत्रा था वो भी धीरे धीरे करके चित्र बनाने लगा था। अब वो अपने दादाजी से सारी चित्र कला सिख चुका था। वो बड़ा हो गया था।
जब बी वह पौत्रा चित्र बनना था तब दादाजी कुछ ना कुछ खामी निकल देते थे। वो पौत्रा उस खामी को सुधार करके अच्छी चित्र बनना देता था।
इस तरहा से पौत्रा अच्छा चित्र कार बन गया। दादाजी की बनी चित्र से ज्यादा पैसा खुद के चित्र बनाये थे उस मे कमाने लगा। फिर भी दादाजी उसकी चित्र मे कुछ खामी निकाल ही देते थे। फिर भी पौत्रा चित्र मे सुधार करके बनाही देता है।
एक पौत्रे ने दादाजी को कहा मे आपसे अच्छी चित्र बनाता हु फिर भी क्यु आप मेरी चित्र मे कमी निकाल रहे है। अब से दादाजी ने खामी निकाल ना बंध कर दिया।
कुछ समय के लिये पौत्रे ने अच्छे पैसे कमाए लेकिन अब लोगोने उस चित्र की तारीफ करनी बंध कर दिया था। पहले जैसे चित्र ना बना पाने के कारण अब कोई चित्र खरीद ने के लिए नही आता है।
पौत्रे ने तुरंत दादाजी से बात किया अब क्यु मेरी चित्र खरीद ने के लिए नही आते है। क्या मे गलत चित्र बनाता हु। अपने मेरी चित्र मे खामी निकाल ना बंध कर दिया है इस लिये कोई चित्र की तारीफ नही करता है।
दादाजी ने कहा मुझे पता है तुम्ह एक अच्छे चित्र कार हो लेकिन तुम्हे अभी भी सिख की जरूर है।
अब से पौत्रे ने दादाजी की हर कोई बात मानने लगा। धीरे धीरे करके वो एक कामियाब इंशान बन गया।