दोस्तो आज आपको यह बताने वाले है inspirational moral stories for adults के बारे मे हमे यकिन है |inspirational moral stories बहुत पसंद आयेगा |short inspirational stories with morals
inspirational moral stories for adults
एक गांव में सोमीया नाम की एक लड़की थी वो अपनी दादी मां के साथ रहती थी । सोमीया ने बचपन में ही अपने मां और पापा को किसी अक्स्मात मे खो दीया था । अब उसका कोई नहीं उस के साथ केवल दादी मां रहती थी दादी मां हमेशा उसे कहाँनीया सुनाया करती थी । हिम्मत वाली लड़की हमेशा आगे बडके अपना नाम बनाती है । सोमीया कहाँनीया सुन सुनके अपनी सोच बडी कर देती है । उसके दिमाग में केवल यह रहता था की कैसे में आगे बडु और कामीयाबी पाव । जीवान के डोर में सोमीया पहले से ही पीछे रह गई थी ।
सोमीया केवल जिवन में एक मौका देख रही थी । कही से भी कभी भी मौका मिल जाये तो में जरुर उस में कामीयाबी पा सकती हु । सोमीया काफी कुच कोशिश कीया लेकिन सभी में उसे निराशा ही मिली । एक दीन पडोशी के वहाँ एक छोटा सा लड़का अपनी मां के साथ चेस खेल रहा होता है सोमीया को भी चेस खेलने का मंन करता है। सोमीया वहाँ पे जाके चेस के पहेलु समज ने लगती है। सोमीया ने 18 की उम्र में चेस खेलने का शरु कीया । धीरे धीरे करके चेस के सारे पहेलु समज गई और अच्छी तरहा से खेलने लगी ।
सोमीया कही पे भी चेस की प्रतीयोगीता होती है तो वो तुरंत वहाँ खेलने के लीये चली जाती है । काफी सारे मेंडल और पैसे कमाती है । उस पैसे से वो अपना घर चलाने लगी । स्कूल की आगे की पठाई पैसे ना होने के कारण छोडना पडता है । अब वो गांव गांव जाके चेस खेलती है । हर जगह पे जित जाती है । उससे प्रेरीत कही लोग चेस खेलना शुरु कीया । सभी लोग उस से चेस सिखने के लीये लाईन में खडे थे । लेकिन सोमीया सोच थी की में अपने देश के लीये चेस में गोल्ड मेड्ल लेके आवु । सोमीया एकही काम करती थी केवल चेस खेलना दुसरा कोई नहीं ।
सोमीया का चेस के प्रती अच्छा खेल देखते हुवे । सोमीया को स्टेट की टीम में चूना गया । लेकिन क्या हुवा सोमीया उस समय चेस खेल ने को नहीं मिला । सोमीया की जगह कोई और खेलने लगा । सभी सोमीया को चाहने वाले दर्शक हेरान थे । सोमीया को चेस क्यु नहीं खेलाया । सोमीया की जगाह कोई दुसरे ने चेस खेलाने के कारण चेस की पहली मेच में हार का सामना करना पडा ।
सोमीया ने कही दीनो के लीये अपने अपको घर में केद कर लीया । वो किसी से बात तक नहीं करती थी । सोमीया को चेस के प्रती नफरत सी हो गई । वो अपने आपको चेस से दुर कर दीया । कही साल निकल गये किसी के साम्ने नहीं आयी । सब लोग सोमीया को भुलने लगे ।
लेकिन सोमीया जैसी एक दुसरी लड़की थी कवीता । सोमीया चेस खेल ती उसी तरहा कवीता भी चेस खेलती थी । सबी दाव पेच सोमीया खेला करती उसी तरहा कवीता भी खेला करती है । लेकिन कवीता के पास अच्छा कोच नहीं हो पाने के कारण वो आगे खेल नहीं पाती है । कवीता आगे खेलना चाहती है लेकिन कोच को देने के लीये पैसे नहीं थे ।
कवीता को शहेली ने सोमीया के बारे में बताया । सोमीया बहुत अच्छी चेस प्येलयर थी । वो सभी लोगो को चेस खेलना सिखाया करती थी । कवीता को सोमीया मेम से मिलने का मंन होने लागा । कवीता ने थान लीया की अब में सोमीया मेम से चेस सिखके ही रहुगी । कवीता सोमीया मेम के घर पहुचती है । लेकिन उसे बुठी दादी मा के सिवाई कोई नहीं दिख रहा था । कवीता दादी मां से सोमीया मेम के बारे में काफी जानने की कोशिश करती है लेकिन कुच जान नहीं पाती है । कवीता खिदकी पे बैथ के अपनी शहेली को फोन लगा के चेस खेला करती है और जोर जोर से बाते करती है ।
सोमीया को कवीता के बारे में पता चाला लेकिन सोमीया ने इगनोर कर दीया । लेकिन कवीता ने भी हार नहीं मानी । येसा करते करते 1 महीना हो गया । अब कवीता का चेहरा उदास होने लगा । उसके पास युवा युध्ध प्रतीयोगीता में हिस्सा लेने के लीया कुच ही दीन रह गये थे । सोमीया ने कवीता की बात नहीं सुनी ।
अब कवीता को युवा युध्ध प्रतीयोगीता में हिस्सा लेने के लीये 5 दीन बाकी रह गये थे । वो चेस की पेक्टिस कर रही थी और सारे दाव पेच गालत खेल रही थी । सोमीया अंडर से देख रही थी कवीता चेस के सारे नीयम गलत खेलते हुवे सोमीया को गुस्सा आता है । तुरंत सोमीया बहार निकल के कवीता को जोर से चाट्टा लगाती है । सोमीया ने कवीता को बहुत सुनाया ।
कवीता बस सोमीया मेम की बात सुन रही थी । आखीर में कवीता ने सोमीया मेम को कहा मुझे नहीं पता की आपकी यह हालात कैसे हुवी है लेकिन यह कह सकती हु जो आपके साथ हुवा है वो मेरे साथ भी होता देखना चाहते हो आप । यह सुन्के सोमीया मेम ने कवीता को चेस सिखाने के लीये तैयार हो गई । कवीता के पास केवल 5 दीन थे । सोमीया मेम ने रात दीन एक कर दीये कवीता को सिखाने के लीये कोई कशर बाकी नहीं रखी ।
जब युवा युध्ध प्रतीयोगीता में कवीता सोमीया मेम के साथ हिस्सा लेने के लीये गई तब सभी लोग देखते रह गये । कवीता एक के बाद एक चेस की गेम जितती गई । आखीर में कवीता ने फाईनल मुकाबला जित लीया । उसे कही सारे प्रुरुस्कार दीये गये ।
सोमीया ने जो स्टेट लेवल पे उस के साथ हुवा था वो सभी को बताया । यहा पे टेलेंट की कोई अहेमीयत नहीं है केवल पैसो की है । पैसे खिलाके लोग चेस खेलते है और देश को गोलड मेड्ल नहीं दिला पाते है ।
सोमीया की यह बात सभी के दिलो को छु गई सभी लोग रास्ते में नारे लगाने लगे । जो भी बेमान थे उसे तुरंत निकाल दीया गया । सोमीया को चेस का अधिकारी बनाया गया । सोमीया ने कवीता को बहुत अच्छी तरहा से ट्रैनिंग दीया और देश के लीये गोल्द मेड्ल लेके आये ।
सोमीया का यह अहम कदम सभी लोग ने आज याद रखेगे । खेल के प्रती सभी खेलाडीयो को समान आधीकार मिले येसी योजना बनाई ।