संघर्ष से सफलता की कहानी || best motivational story in hindi for students

दोस्तो आज आपको यह बताने वाले है best motivational story in hindi for students के बारे मे हमे यकिन है | motivational stories in hindi बहुत पसंद आयेगा | Motivation story hindi 

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Best Motivational Story in Hindi for students

 

एक गांव मे सोमु बाई रहती थी और उसकी एक बेटी कवीता थी । पती के गुजर जाने के बाद सोमु बाई पे पुरी जिमेदारी आ गई घर मे पुरा काम करना पडता था पैसे कमाना और बेटी कवीता को पढाई लिखाई करवा ना सोमु बाई का सपना था की बेटी कवीता एक बडी ओफ़ीसर बने । सोमु बाई ने पैसे कमाने के लिए दुसरे के घर जाके काम करने लगी । जब भी दुसरे के घर काम करने के लिए जाती थी तब अपनी बेटी कवीता को साथ ले जाती थी । सोमु बाई जब घर मे बर्टन साफ करती थी तब उसकी बेटी कवीता अखबार को पढती रेहती थी ।

मालकीन ने देख लिया तब मालकीन ने कहा की बेटी कवीता क्या कर रही हो अपनी मां को कुच काम काज मे मदद करो । ए अखबार पढके तुम्हे क्या मिलेगा । बेटी कवीता ने मालकीन को कहा की मेरे पास पढने के लिये किताब नही है इस लिये मे अखबार लेके नयी नयी चिज सिखती रहती हु । मालकीन ने कहा की तुम्ह नयी जिच सिख के क्या करोगी । बेटी कवीता ने कहा की मे बडी होके बडी ओफिसर बनुगी । मालकीन जोर जोर से हंस ने लगी । मां को वो सब देखते हुवे बहुत बुरा लगा और बेटी कवीता को वहा से लेके घर आ गई ।

 

सोमु बाई लगन प्रसंन्ग के लिये रोटीया बनाने का काम शरुआत किया । रोटीया बनाने के लिये हर दीन सुबह 4 बाजे उथना पडता था । सोमु बाइ कि तरहा उस की बेटी भी ज्ल्दी उठ जाती थी और किताबे पढने लगती थी । एक दीन घर का मालिक आ गया और सोमु बाई को कहने लगा कि तुम्ह हर दीन 4 बजे उथ के बिज्ली जलती हो तो उस का बिल कितना ज्यादा आयेगा । तुम्ह बिज्ली का ज्यादा बिल दो या घर खाली कर दो ।

बेटी ने मुह्बत्ती जलाके अपनी पढाइ करनी चालु करदी और सोमु बाई ने दिया जाला के रोटीया सेकनी चालु किया । इसी तरहा दीन बितते गये । बेटी कवीता अपने क्लास मे अंवल आती हि गई । बेटी कवीता बडी हो गई एक टिचर ने कवीता के अछे ग़्रेड देखते हुवे शहेर मे पढाई लिखाई के लिये भेजा और सारा खर्चा उथाया लिया ।

बेटी कवीता मंन लगाके पढने लगी । जब परिक्षा की बारी आयी पुरी जोर सोर से त्यैयार होके निक्ली लेकीन रास्ते मे एक कार वाले के साथ भिदन हो गई और एक हाथ मे लागी और सिर से लोही निकल ने लगा । सभी लोग कहने लगे कि बेटी पास मे एक होस्पीटल है वहा पे जाके इलाज करवा लो कवीता सोच मे पड गई । होस्पीटल जावुगी तो मेरा पुरा एक साल खाराब होगा । क्या हुवा एक हाथ मे लगी हे तो दुसरा हाथ से मे लिख सकती हु । वहा से उठ के परीक्षा देने के लिए गई और परीक्षा दीया । उस के बाद होस्पीटल मे इलाज करवाया । वहा पे भी किताब लेके पढने लगी ।

जब ईंटरीव्यु की बारी आई तो बडी कोंफ़िडंस के साथ दीया । और ईंटरीव्यु देके अपने घर लोट आई । जब रीज्ल्ट आना था तब मां सोमु बाई सुबहा अखबार लाई और बेटी कवीता को दीया । कवीता ने देखा तो वो पास हो गई थी । कवीता ने मां से कहा मे पास हो गई हु मे कलेटर बन गई हु ।

जितोर पुरे होस्ले से मेहन्त करने से इसी तरहा गरीब भी एक कलेटर बन सकता है ।      

 

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