bholenath ki story in hindi
भोलेनाथ के मंदीर का एक गरीब परिवार का पुजारी था । हर दीन वो पुजारी भोलेनाथ की सेवा करता था । एक दीन पुजारी को प्रत्ती ने कहा आज आप बहुत जल्दी घर आ गये है । क्या बात है कही जाने वाले है क्या । तब पुजारी ने प्रत्ती को कहा की आज मे पास के गांव मे हवन करने के लीये जाने वाला हु । और मुझे घर आते हुवे देर हो जायेगी ।
पुजारी पास के गांव के घर मे जाने हवन करना शुरु कर देता है । पुजारी ने कही चिजे रखी उस मे से कही लोग येसी बात कर रहे थे की पुजारी हवन करते समय आसन के साथ त्रीशूल और डमरु रखते है । पुजारी हवन करते है भोलेनाथ इस आसन पे बिराजते है । ये पुजारी कही समय से भोलेनाथ के पुजारी है । सच मे भोलेनाथ इस आसन पे
बेठ ते है ।
एक दीन पुजारी भोलेनाथ की भक्ती कर रहा था तब कुच लोग आये और पुजरी को कहा आज हम देख ने वाले है क्या तुम्ह सच मे पुजारी हो या थोंग कर रहे हो । ये आसन पे हम बेथे गे पुजारी ने मना कर दीया ये भोलेनाथ का आसन है यही पे भोलेनाथ बेठगे । वो आदमीने पुजारी को कहा थीक है मुझे साबित करके दिखावो । पुजारी ने कुच समय मांगा । वो आदमीने कहा तुम्ह साबीत नही कर पाये तो ये मंदीर को छोड के चले जावेगे । पुजारी ने उस आदमी की शर्त स्वीकार कर लीया ।
गांव मे ये बात कही लोगो से फेल गयी अब लोग बात करने लगे पुजारी सच मे यह कर सकेगा । पुजारी कही समय से भोलेनाथ का भक्त है इस लीये जरुर कर पायेगा । हम कल दिखते है क्या सच होता है । पुजारी अब दुसरे दीन सुबह के बारे मे सोचने लगा और भोलेनाथ को प्राथना करने लगा मेरी सची भक्ती है तो कल आपको आना होगा ।
दुसरे दीन सुबह मे वो आदमी पुजारी से पहले मंदीर मे आ गया था । उस आदमीने पुजारी को कहा अब आपका हवन शुरु करो हम भी देखते है क्या भोलेनाथ आते है क्या । उस आदमी ने एक आसन रख के त्रीशूल और डमरु रख दीया और ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ मंत्र का जाप करने लगा । कुच समय के बाद पुजारी उस आदमी को कहता है । इस आसन को अब यहा से उथा के दुसरी जगह पे रख दो ।
वो आदमी मुस्कूराते हुवे आसन उथाने के लीये गया लेकीन उस आदमी से आसन नही उथ पाया । आसन हिला भी नही सकता था । उस के बाद उस आदमी को जोर से थक्का लगा और उस आसन से दुर हो गया । तब उस आदमी को लगा की ये भोलेनाथ है । तब वो आदमी रोने लगा और भोलनाथ से श्र्मा मांगने लगा । मुझसे बहुत बडी गलती हो गई है इस लीये मुझे माफ करो ।
सभी गांव वालो को अब पुजारी की भक्ती को सच्ची लगी और गांव वालो ने पुजारी को कहा आपही इस मंदीर के पुजारी है आपकी जगहा दुसरा कोई नही ले सकता है । पुजारी भोलेनाथ की तरफ देखते हुवे कहा आप इसी तरहा आपकी क्रुपा दीखाते रहीये हम आपकी सेवा जनमो जनम करते रहेगे ।